Blog Post 01: The STATE OF MIND


STATE इस शब्द का भौगोलिक अर्थ राज्य होता है, जिसे सरकारी नियमो के अनुसार ,कायदा सुव्यवस्था के दायरे में रखकर सशक्त पदाधिकारियोंद्वारा चलाया  जाता हैं। इसी शब्द का दूसरा अर्थ अवस्था (condition) भी होता हैं। अगर हम मन की अवस्था याने STATE OF MIND के बारे में सोंचे तो उसे भी ठीक तरह से ख्याल रखकर, संभालकर चलाना जरूरी हैं। और अगर ऐसा नहीं हुआ तो हमारा मन बेकाबू हो सकता हैं |  


वैसे मानसिक अवस्था बिघड़ने की काफी सारी वजह हो सकती है। जरूरत हैं तो हमारे मन की अवस्था या उसका स्वस्थ्य ठीक से कार्य कर रहा हैं, या नहीं, ये बात ध्यान देकर समझना।और अगर ठीक तरह से काम नहीं कर रहा हैं तो उस अवस्था का स्विकार करना | "Acceptance is  the key to cure any kind of ailment." जैसे जैसे मानसिक अवस्था ढलने लगती है वैसे वैसे इंसान depress feel करने लागता है।मानसिक बिमारीयों के संबंध मे सबसे बडी अडचन होती है, समाज, रिश्तेदार, दोस्त, इतनाही नही हमारे अपने माता-पिता और भाई-बहेन हमे कही पागल ना समझ ले, इसका डर या इसकी शरम हर इंसान अपने मन में लिये घुमता हैं। एक प्रसिद्ध कहावत हैं "मनुष्यजाति का सबसे बड़ा रोग,क्या कहेंगे लोग !" इसी सोंच के चलते कोई भी depression (अवसाद) से ग्रस्त इंसान खुलकर सामने आने की हिम्मत नहीं कर पाता। सबसे गैरत की बात तो यहीं है की मानसिक बिमारी से जुंजते लोगोंको, सामान्य लोगोंके सामने बिलकुल ठीक ठाक होने का दिखावा करके ही जिना पड़ता हैं। मानसिक बिमारी को(ज्यादातर मध्यम वर्गिय समाज में),अमिर लोगों का शौक समझ कर धिक्कारा जाता हैं। 

एखाद व्यक्ती पहेले से depression से गुजर रहा हैं और समाज का ऐसा नजरिया हो तो अपनी भावनाओंको को व्यक्त करने का सामर्थ्य वो गंवा सकता हैं | यहाँ पर एक बात समझना बहोत जरुरी है की Depression भी Diabetes और Blood pressure जैसी एक व्याधी हैं। Diabetes और blood pressure को शारीरिक व्याधी समझकर जैसे ही उसका निदान होता हैं हम तुरंत उससे जुडी दवाईया और उपचार शुरू कर देते हैं। मगर दुर्भाग्यवश मानसिक बिमारीयोंके के बारे मे ऐसा नही होता हैं। Diabetes और Blood pressure को अनुवंशिक बिमारियाँ समझा जाता है जो कुछ हद तक बराबर हैं। पर आजकल के स्पर्धात्मक कार्यपद्धति और जिवनशैली में टीके रहने केलीए बढता मानसिक तनाव इन बिमारीयों का मुख्य कारण माना जा रहा हैं। जो बिमारिया पुराने जमाने मे 60 साल के बाद होती थी वहीं बिमारिया आज मात्र 30-35 साल के उम्र के नौजवानों में पायी जा रही हैं। अगर तनाव का असर हमारे सेहत पर हो रहा हैं और ऐसें आसार हमे दिख रहे हैं तो देर होने से पहेले उसका इलाज करने के उपाय हमे ढूंढने पडेंगे। इस केलिए पुरे दिन मे थोडासा वक्त या हफ्ते में एक दिन हमें अपने लिये वक्त (The METIME) निकालना एक आसान उपाय हो सकता हैं। उस समय हम कोई भी ऐसा काम कर सकते हैं, जिससे हमे खुशी मिलती हो, हमारे मन को जिससे आराम और शान्ति मिलती हो। ये "The METIME" हमे खुद हमसे मिलाने में मदत करता हैं। Weekends में हम अपनी family के साथ quality time spend कर सकते हो। जिससे घर के अन्य सदस्यों के साथ वार्तालाप (communication) प्रस्थापित होने में मदत हो सकती हैं।


मानसिक स्वास्थ्य किसीं गाडी की तरह ही होता हैं।गाडी को अगर हम ठीक तरह से maintain करते हैं, उसका regular servicing कराते हैं, तो वो हमे तकलीफ नही देती।पर अगर नजरंदाज कर देते हैं तो फिर वो तकलीफ देना शुरू करती हैं और फिर service center मे जाकर ही उसका उपचार करने की नौबत आती हैं। उसी तरह अगर मन की ओर भी regular ध्यान नही दिया तो फिर मन के mechanic के पास ले जाने की नौबत आ सकती है | फिर जिस तरह से हम किसी भी शारीरिक व्याधि या बिमारी केलिए किसी Physician की सलाह लेते हैं  उसी तरह मानसिक व्याधि केलिए, तिव्रता के अनुसार किसी भी मनसशास्त्रद्न्य  (Psychologist) या मनोचिकित्सक (Psychiatrist) की सलाह ले सकते हैं। बस इस बात को समझकर और अपनाकर कदम उठाने की जरूरत होती है। अगर मानसिक संतुलन या तनाव को संभालना हमारी नैसर्गिक क्षमता के बाहर हो गया तो बिना पता चले depression के शिकार हो सकते हैं।

मानसशास्त्रद्न्य (Psychologist) talk therapy से उपचार करते हैं |वे दवाई prescribe नही कर सकते।

मनोचिकित्सक (Psychiatrist) मानसिक और शारीरिक लक्षण देखकर,उसका निदान करके दवाइयाँ prescribe करके उपचार करते हैं।


हमारे तनाव की तिव्रता और मानसिक अवस्था के अनुसार हमे किससे सलाह लेनी हैं ये तय हो सकता हैं। 



Depression केलीए उम्र या लिंग की मर्यादा नहीं होती। वो बालवस्था (childage), किशोरवस्था (teenage), युवाअवस्था (young age), मध्यमवय (middleage), बुढापा (oldage) किसीं भी उम्र मे, जिवन के किसीं भी पडाव मे हो सकता हैं। वजेह और परिस्थिती भी अलग अलग हो सकते है। वक्त के चलते अगर इलाज नहीं करवाया तो वही Depression आगे जा कर हमारे व्यक्तिमत्व (personality) पर भी असर कर सकता हैं | जिससे इंसान,व्यक्तित्व विकार (personality disorders) और दुर्भीति (phobias) के शिकार हो सकते हैं | 

World Health Organisation(WHO) के अनुसार, जग में हर चार(४) में से एक(१) इंसान किसी न किसी मानसिक बिमारी से घिरे हुए है। National Mental Health Survey (२०१५-१६) के अनुसार, बीस(२०) में से एक भारतीय depression से गुजर रहा हैं।  दुनिया भर ज्यादातर आत्महत्या, depression की वजह से की जाती हैं। World Health Organisation(WHO) के विवरण के अनुसार, हर साल सिर्फ depression की वजह से आठ लाख(८,००,०००) लोग अपनी जान गँवाते हैं। भारतीय सरकार अब National Mental Health Programme(NMHP) के अंतर्गत सभी शैक्षणिक संस्थाओं और कार्यस्थलों में तनाव प्रबंधन(stress management) और आत्महत्या निवारण सेवा(Suicide prevention services), कौशल और परामर्श(skill training & counselling) के मार्फत प्रस्थापित करने केलिए आग्रही है।  

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Depression में क्या मन:स्थिति होती है, क्या महसूस होता हैं इसके बारे में अगले हफ्ते,अगले blog The FEELING में, तब तक stay safe and healthy, MENTALLY & PHYSICALLY😊.
-(KD Blogs)
✍©कुणाल देशपांडे 

Comments

  1. चांगले लिहिले आहे आणि विशेष हिंदी मध्ये👏👏💐

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    1. वाचल्या बद्दल तुमचे आभार🙏😊

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  2. Khup chaan likhaan. Vishayacha deep study and hindi language cha chaan vapar kela ahes. Keep it up. 👍🏻

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    1. वाचल्या बद्दल तुमचे आभार🙏😊

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  4. Nicely articulated...waiting for next one......

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    1. Thanks Nilesh for reading and acknowledging the attempt👍😊

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