Blog Post 11: The HYSTERIA

HYSTERIA से पीड़ित लोग HYSTREONIC (नाट्यमय व्यक्तिमत्व ) या HYSTERICAL इस  दो तरह के व्यक्तिमत्व  से जुड़े होने की संभावना होती है। ऐसे इंसान संकीर्ण (narrow minded), आत्मकेंद्रित, नाटकीय और सनकी स्वभाव के होते है। इनका स्वभाव बाहरी तौर पर आकर्षक और मिलनसार लगता है, लेकिन अंदर से वो उतने ही संकीर्ण स्वभाव के होते है। अपने मतलब  केलिए मीठी बाते कर के अपना काम निकलवाने में ऐसे लोग माहिर होते है। कोई भी घटना बढ़ा चढ़ाकर, मिर्च मसाला लगा कर बताने की खूबी इनके स्वभाव में पायी जाती है। इसीलिए ऐसे इंसान आसानी से लोगोंका ध्यान अपनी तरफ बटोरने में कामयाब होते है। 

HYSTERICAL लोगों को अस्थायी (temperory) लोकप्रियता आसानी से मिलती है लेकिन उनके आत्मकेंद्रित और स्वार्थी स्वभाव के वजह से उनकी किसी के साथ ज्यादा देर तक दोस्ती ह्या संबंध टिक नहीं पाती है। कुछ देर बात उनका खोकला स्वभाव बाहर आ ही जाता है। इस व्यक्तिमत्व के लोग हमेशा हर जगह दूसरों पर अपना वर्चस्व दिखाने की, अपने आप को दूसरों पर थोपने की कोशिश करते है। उदाहरण के तौर पर ऐसी व्यक्ति किसी के घर मेहमान बनकर रहने जाए तो वे उस घर को अपना घर समझ कर हक जताने लगते है। अपने मर्जी के मुताबिक़ उस घर में रहने वाले लोगों को नचवाने की कोशिश करते है। उनकी चीजों पर अपना हक जमाते है, उन्हें मीठे बातों में उलझाकर अपने खर्चे उठाने केलिए मजबूर करते है।  घरवाले असहय होकर विरोध करते ही अपनी गलती को अनदेखा कर झूठे आँसू  बहाकर सामने वाले को चुप करा देते है।  उनके मन के विरुद्ध वे कोई भी चीज कर नहीं पाते। 

ऐसे लोग आसानी से अपने स्वभाव का प्रदर्शन करते है।  वे बहोत ही जिद्दी, जल्द प्रभावित होने वाले होते है। किसी चीज पर या व्यक्ति पर  जितने जल्दी  से उनका विश्वास बैठता है, उतने ही जल्दी और आसानी से उनका विश्वास उठ भी सकता है।   

हर मानसिक बिमारी की तरह कही ना कही इस स्वभाव के तार बचपन से भी जुड़े हो सकते है। जो बच्चे बहोत ही लाड प्यार और सुरक्षित वातावरण में पले बड़े हो, ऐसे बच्चोंका व्यक्तिमत्व आगे चल कर  HYSTERICAL  बन सकता है। कुछ बच्चे पैदाईशी अस्थिर, चंचल और जिद्दी होते है। उनके nervous  system  की प्रतिक्रिया ही ऐसी होती है।  माता-पिता केलिए अपने बच्चो के स्वभाव में ये लक्षण ध्यान देकर पहचानना जरूरी होता है। किस वक्त प्यार से और किस वक्त आक्रमकता दिखानी है ये इन बच्चों को बराबर ज्ञात होता है। अगर माता-पिता वक्त पर इस पर ध्यान न दे तो आगे चल कर उनके लिए बच्चों को संभालना मुश्किल हो सकता है। और बड़े होने पर जिंदगी भर वही बच्चे हर  जगह,  जैसे ऑफिस में सहयोगी, घर पर रिश्तेदार, बाहर अपने दोस्तों के साथ अपने इसी स्वभाव का उपयोग कर, अपना काम निकलवा लेते है।  ऐसे लीग आत्मकेंद्रित होने की वजह से अपना काम निकलवाने किलिये सामने मुँह पर मीठी मीठी बाते करते है और पीठ पीछे बुराई करते है। ऐसे स्वभाव के BOSS अपने employees को अच्छा काम करने केलिए उत्तेजित करेंगे लेकिन वक्त आने पर उनके काम का श्रेय उन्हें दिये बिना सारा श्रेय खुद लेकर अपने आप को appreciation और promotion के लायक साबित करर्ते है। उनके आगे पीछे करने वाले लोग उनके पसंदीदार होते है।  पर ये सब ज्यादा दिन नहीं चलता है। ऊपरी तौर पर कामयाब और जिद्दी दिखने वाले ऐसे इंसान में अंदरूनी तौर पर inferiority complex भरा हुआ होता है। खुद के क्षमता और कर्तुत्व पे उन्हें जरा भी विशवास नहीं होता है। इसीलिए मेहनत करने के इलावा खोकली बढाईया मार मार कर  अपना काम करवाते या निकलवाते रहते है।  

HYSTREONIC स्वभाव के लोगों का अपने परिवारजनों के साथ, अपने दोस्तों के और सहयोगियों के साथ ज्यादा समय तक अच्छा रिश्ता टिक नहीं पाता है। HYSTERIA से पीड़ित इंसान, अपना मानसिक तनाव और संघर्ष, दो लक्षणों द्वारा व्यक्त करते है। 

१) HYSTERICAL CONVERSIONइस अवस्था मे मानसिक तनाव का शारीरिक लक्षण में रूपांतर होता है।है।

२) HYSTERICAL DISASSOCIATION: इस अवस्था मे इंसान इन संघर्षों से दूर  होने की कोशिश करते है।  

HYSTERICAL CONVERSION में इंसान, कोई चीज अगर उसके मुताबिक़ ना हो तो शांत, गूंगे, अंधे या निश्छल हो बन जाते है। लेकिन इसमें कोई भी शारीरिक दोष नहीं होता सिर्फ दिखावा होता है। असली वजह तो मानसिक तनाव होता है। ऐसा करने से वो लोगों का ध्यान अपनी तरफ बटोरना चाहते है। ऐसे लोग हमेशा center of attraction  बने रहना चाहते है। ये अवस्था एक नाट्यमय स्थिति जैसी होती है। नाटक में जैसे कलाकार का अभिनय प्रेक्षकों के वाह-वाही से  खुल उठता है वैसे ही इस स्थिति में जितना उस इंसान को भाव दिया जाए उतने वो ज्यादा शारीरिक लक्षण दिखाता है। लोगों का ज्यादा से ज्यादा ध्यान अपनी तरफ खींचना, यही उनका एकमेव मकसद होता है। छोटे बच्चों में भी इसका प्रमाण दिखाई देता है। बच्चे हट करके माता-पिता से अपनी पसंदीदार  चीज हासिल करने केलिय इस तकनीक का इस्तमाल हमेशा करते है। 

HYSTERICAL DISASSOCIATION में इंसान के मन की भावनाये, यादे, ख्याल  के बिच में संबंध नहीं रहते। वे अनचाही चीजे या अनचाही घटना भूल जाते है।  इसके इलावा उन्हें वास्तव परिस्थिति की जागरूकता भी नहीं रहती। इस स्थिति में   कभी कभी उन्हें विस्मरण भी हो सकता है । 

और एक अवस्था जिसे FUGE  STATE कहा  जाता है। इसमें इंसान अपनी पहचान भूलने का आभास निर्माण करता है। वो अचानक से अपने रहते स्थल, गांव, शहर से गायब होकर किसी और शहर, गांव में किसी और नाम से बस जाता है और उसे ढूढ़कर वापस लाये जाने पर या खुद वापस आने के बाद, किसी ने उसे अगवा करने की मनोरंजक कहानियाँ रचता है या उस दौरान का कुछ भी याद न रहने के बहाने बनाता है । वैसे जब किसी इंसान का मन तनाव में होता है तो उसे सब कुछ छोड़ कर दूर जाने का मन हमेशा करता है। FUGE  STATE का छोटा रूप अधीन (possessed) भी होता है। औरतो में ये भाव ज्यादातर दिखाई देता है। कुछ समय तक ये औरते अलग ही आवाज में ,अलग ही सुर और ढंग में बाते करते हुए दिखाई देते है। गांव या पिछड़े इलाकों में इस स्थिति को मांत्रिक लोग  बहुत बाधा का नाम देते है। 

ज्यादातार ये देखा गया है की HYSTERIA का विकार औरतों और बच्चों में पाया जाता है। काफी समय तक औरतों को पुरुष प्रधान संस्कृति ने दबा कर रखा गया। तो ये अन्याय असह्य होने पर, पुराने जमाने में औरते HYSTERIC होकर  कुछ देर तक नाटक कर मनचाही चीजे करवा लेते थे। पुरुष जाती के सामने अंतर्मन का दू:ख व्यक्त करने केलिए उन्हें इस चीज का सहारा मिलता था। आज के जमाने में  औरतों में इस तरह के HYSTERIC लक्षण नहीं दिखाई देते है क्योंकि आज की महिलाये पढ़ी लिखी हो गयी है, अपने पैरों पर खड़ी है, स्वावलम्बी बन गयी है। 

HYSTERIA को दूर करने के चार मुख्य पड़ाव होते है :

१) चिंता और परेशानी पैदा करने वाले रिश्तेदारोंसे मरीज को दूर रखना पड़ता है। 

२) मन को शांत करने केलिए वाकई दवाइया, injections देकर दृढ़ता से सुचना देकर मरीज में पाए जाने वाले लक्षणोंको दूर किया जाता है।  

३) मरीज में उत्पन्न  होते लक्षण किसी परिस्थिति से जुड़े हो, तो उस परिस्थिति में उचित बदलाव लाया जाता है। 

४) मरीज के अंतर्मन में उठते संघर्ष और समस्या का निवारण कर, उसे जड़ से मिटाने केलिए मरीज की मद्त की जाती है।

५) मरीज के सामने उसकी इस बिमारी को झुटलाना भी नहीं चाहिए और ज्यादा बढ़ावा भी नहीं देना चाहिए । 

६) HYSTERICAL  मरीजों को अपना वर्चस्व, अनुभव का दिखावा करने केलिए सफेद झूठ बोलने की भी आदत होती है। ऐसे मरीजों को, वो जैसे ही बढ़ाई मारना शुरू करे, हमे भी सारी चीजों का ज्ञान है, इसकी अनुभूति उनका अपमान किये बिना करवा देने की जरूरत होती है। एहतियात न बरतने पर उनमें हिन् भावना भी विकसित हो सकती है और फिर उसे मिटाने केलिए वे और ज्यादा HYSTERIC  बन सकते है। 

कई बार HYSTERIA में आती हुई झटकों को मतलब feats को  EPILAPSY भी समझने की गलती की जाती है। लेकिन दोनों में बहोत  फर्क होता है। 

EPILAPSY में निचे दिए हुए लक्षण दिखाई देते है :

१) झटक़े कही भी, किसी भी वक्त आ सकते है। 

२) झटका आने से पहले उनके मुँह से "आ आ ' की आवाजे निकलती है।

३) उन्हें चोट लग सकती है। उनकी चीभ दांतो में अटक कर कट सकती है, दांत भी टूट सकते है ।

४) हात-पैर सीधे और सख्त हो जाते है। 

५) कपड़ों में पेशाब भी हो सकता है। 

ऐसे झटके एक मिनिट तक रहते है और झटका निकल जाने के बाद मरीज को थकावट महसूस होती है। उस दौरान की कोई बात मरीज को याद नहीं रहती और वो बेहोश हो जाता है। 

HYSTERIA में निचे दिए हुए लक्षण दिखाई देते है :

१) झटका होशोहवास में ही आता है। 

२) मरीज संभलकर जमीन पर गिरता है। 

३) इसमें जीभ भी नहीं कटती और कपड़ों में पेशाब भी नहीं होता  

४) झटका १५-२० मिनट से लेकर घंटे तक भी चल सकता है।  

५) झटके से उभरने के बाद उन्हें थकावट भी महसूस नहीं होतो और उन्हें उस दौरान की सारी घटनाये याद भी रहती है। 

ये सब इसीलिए होता है क्योंकि HYSTERIA  का झटका झुठ और दिखावे केलिए होता है, लोगोंका ध्यान बटोरने केलिए होता है। ज्यादातर मरिज के इच्छा के विरुध्द या उनके मन में तनाव पैदा करने वाली कोई घटना घटी, तो ऐसे समय में अपने हिसाब से चीजे करवा लेने केलिए वे इसका सहारा लेता है। यहां तक की वे कभी कभी अपनी बात मनवाने केलिए आत्महत्या करने तक की धमकी दे सकते है।   

HYSTERIA पर उपाय सामाजिक और व्यक्तिगत इन दो स्तरों पर हो सकता है। समाज में हर जगह HYSTERIC PERSONALITY के लोग तो होते ही है। समाज को सुधार कर, अपनी सोच में बदलाव लाकर, नारी शिक्षण को बढ़ावा देकर, महिलाओं को समाज में समान दर्जा देकर उनका आदर करने से HYSTERIA का प्रमाण औरतों में तो निश्चित रूप में कुछ हद तक कम हो ही सकता है। इस तरह से मरीज अपने मन में छिपे भावनाओं को व्यक्त करने केलिए HYSTERIC लक्षणों का सहारा लेने के बजाय वैचारिक पर्यायों का अवलम्ब कर सकेगा।  

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अगले blog में MANIA | BIPOLAR DISORDER से जुड़े मानसिक अवस्था के बारे में जाग्रुकता हेतु जानकारी देने का प्रयास होगा, तब तक stay safe and healthy, MENTALLY & PHYSICALLY 😊.

-(KD Blogs)
✍©कुणाल देशपांडे।

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