Blog Post 10: The OCD (Obsessive Compulsive Disorder)
OBSESSION में पैदा होने वाला शक कही ना कही आत्मविश्वास की कमतरता या अंधविश्वास से भी जुडा हो सकता हैं
उदाहरण के तौर पर :
१) काफी महिलाये किचन में बार बार बर्तन घिस कर साफ करने की आदी होती हैं। कुछ औरतों में इसका प्रमाण इतना ज्यादा होता है कि एक मोड़ पर पानी मे ज्यादा हात डालने की वजह से उनके हात भी छिल जाते हैं।२) घर से निकलते समय दाया पैर ही बाहर डालना चाहिये और अगर ऐसे नहीं हुआ तो दिन खराब जा सकता है।
३) रास्ते में जितने भी मंदिर दिखे उनके सामने रुक कर भगवान की प्रार्थना करना जरूरी है और कही गलती से अगर एखाद मंदिर छूट गया तो भगवान नाराज हो जाएंगे।
४) किसी परीक्षा में हर पेपर एक ही पेन से लिखने की सोच रखना या किसी महत्त्वपुर्ण काम या मीटिंग केलिए एक विशिष्ट शर्ट पहनने की मानसिकता रखना क्योंकि वो पेन परीक्षा में या वो शर्ट मीटिंग केलिए lucky होने का विश्वास मन में घर का चुका होता है।
५) कई लोगों को गलती से किसी को पैर लग जाए तो जहाँ एक SORRY बोलकर काम हो सकता है वहाँ हात जोड़ कर या पैर पडकर माफ़ी मांगने की आदत होती है। एक समय बाद ये आदत इतनी बढ़ जाती है की वही इंसान फिर सजीव और निर्जीव वस्तु में भेद कर नहीं पाता। वो इंसान दरवाजा, table, गद्दी यहाँ तक चप्पल, जूतों को भी सजीव चीज समझ कर बार बार हात लगा कर माफ़ी माँगता है।
६) घर या गाड़ी को lock करने के बाद बार बार उसे check करते रहना।
७) भिकारी को भिक ना देने पर कुछ विपरीत हो सकता है।
८) बार बार घर को या अपने चीजों को साफ़ करते रहना।
इसके इलावा बेहद्द सख्ती (strictness), अनुशासन (discipline) और over perfection का अट्टाहास रखने वाले लोग भी OBSESSION के शिकार हो सकते हैं| बार एक ही चीज लगातार करने की आदत OBSESSION का उदाहरण है। जैसे छोटे बच्चे जब कोई नई चीज सीखते है या उन्हें किसी नए चीज की अनुभूति होती है तो वही चीज बार बार करने का उनका मन होता है। एक कहानी बार बार लगातार सुनने के बाद भी उनका दिल नहीं भरता। ये भी एक प्रकार का OBSESSION ही होता है। OBSESSION वैसे तो मन में विचार आने तक सिमित होता है। इस में कई बार मन के विरुद्ध विचार आते रहते है। लेकिन COMPULSION में मन के विरुद्ध कृति की जाती है। उदाहरण के तौर पर घर से निकलने के बाद घर अच्छी तरह से lock किया होगा या नहीं इसकी शंका मन में आना, ये OBSESSION का लक्षण होता है और इस विकार से हैरान हो कर घर से निकलने के बाद आधे रस्ते पहुंचकर तसल्ली केलिए वापस घर पर जा कर lock check करना ये COMPULSION का लक्षण होता है। OBSESSION और COMPULSION जब दोनों एक साथ मिल जाते है तो मनोविज्ञान में उसे OBSESSIVE COMPULSIVE DISORDER (OCD) कहते है। ऐसे मरीजों को काम पूरा करने में काफी वक्त लगता है और उनकी शारीरिक और मानसिक शक्ति भी खर्च होती है।
उदाहरण के तौर OCD से पिड़ित लोग, किसीं नयी चीज का उपभोग लेने के बजाय उसको संभालने में अपनी ऊर्जा खर्च करते है| कपडों पर एक भी झुरी उन्हे पसंद नहीं होती | किताब को पढने के बजाय उसें अच्छा कव्हर डाल कर, उसके पन्ने बिना मुड़े रखने की जगतोजहत में वो लगे रहते हैं | अपना cabin या अपना room, अपनी चीजें उन्हें बहोत ही संयोजित (organised) लगती हैं । जीवन में organised होना जरूरी हैं लेकिन कोई भी चीज हद से ज्यादा अच्छी नही होती। और अगर किसी इंसान में ऐसे लक्षण नजर आ जाये तो वो इंसान OCD का मरीज हो सकता है ।
ऐसे लोग खुद को बहोत होशियार और पूर्णतः अनुभवी समझते हैं। इसीलिए कोई भी काम अपने तरीके से ही होने का उनका आग्रह होता है | ऐसे लोग team में एक साथ काम कर नही पाते क्योंकि अगर वो team leader बन जाये तो अपने team members मे तनाव पूर्ण वातावरण पैदा करते है। ऐसे लोग दूसरों के सुझाव accept नही कर पाते | अगर वो सुझाव जायज भी हो तो फिर उस दिशा में सोचने की उनकी मानसिकता नही होती और फिर बेचैनी के वजह से उनके अहंकार को ठेंस पहुंच सकती है।PHOBIA का मरीज डर से जुड़ी चीज या समय टल जाने के बाद शांत हो जाता हैं। पर OBSESSION का मरीज जिसे अगर गंदगी साफ करने का OBSESSION है, उससे दूर जा नही पाता हैं।उनके हिसाब से कोई भी चिज पुर्णत: साफ नही हो सकती, और अगर साफ की भी जाये तो हवा में फैले गन्दगी और जन्तुओं से वो चीज वापस मैली हो सकती है। किसी इंसान के छूने से जंतु अपने शरीर पर बैठ सकते है इसीलिए ऐसे लोग किसी से हात मिलाने से कतराते है या किसी से गले मिलना पसंद नही करते।
OBSESSION के तिसरे प्रकार में किसी दूसरे इंसान, भले वो अपना करीबी दोस्त, करीबी रिश्तेदार हो, या भगवान के बारे में भी मन मे उठते गलत सही विचार होते है। उदाहरण के तौर पर अत्यंत धार्मिक इंसान के मन में भगवान की पूजा करते समय भगवान को ही गाली देने के विचार मन मे उभरते है। कई बार अपने ही छोटे से बच्चे को नहलाते समय उसी पानी मे डूबा कर उसे मारने के भयानक विचार भी मन मे आते है। ऐसे विचारों के वजह से इंसान का मन हमेशा बेचैन, दुःखी और निराश रह सकता है।
ऐसे अजब विकारों का निदान अभी तक समझ नही आया है और काफी मनोवैज्ञानिक इस पर संशोधन कर रहे है। पर कही न कही थोड़े बहोत प्रमाण में OBSESSION के तार बचपन से जुड़े होने की संभावना को झुटलाया नही जा सकता। सख्ती, अनुशासन से पीडित लोग बचपन में कही ना अपने माता-पिता से संघर्ष कर चुके होते है। उनके माता-पिता ने उनको ज्यादातर नियंत्रण में रखने की कोशीश की होती है। तो उनकी मानसिकता भी वैसे ही विकसित हो जाती है। बडे होने पर वो भी अपने माता-पिता की तरह नियम बनाकार अपने आस पास के लोगोंसे सख्ती और अनुशासन की अपेक्षा करने लगते है।
वैसे तो कम मात्रा में लक्षण दिखने वाले इंसान इलाज केलीये आना पसंद नही करते पर अगर ये लक्षण बढ जाये तो इंसान के दैनंदिन जीवन पर उसका असर पड सकता है। वैसे तो OBSESSION का इलाज उतना आसान नही है, लेकीन हाल ही में BEHAVIOUR THERAPY से काफी अच्छे परिणाम सामने आये है। इसमें मरीज के OBSESSION का base क्या हैं ये ढुंढने के बजाय कोई गलत चीज सिखने की वजह से या किसीं गलत चीज की आदत लगने की वजह से मरीज गलत हरकत करता है ये समझकर उसकी गलत हरकते बदलने का या सुधारने का प्रयास किया जाता है। OBSESSION की वजह से मन में उत्पन्न होती चिंता (anxiety) और COMPULSION में किये जाने वाली गलत हरकतों को दूर करने का प्रयास भी किया जाता है। मरीज को डर लगने वाली परिस्थिती का सामना करने केलिए उत्तेजित किया जाता है।संशोधन कहता है की अन्य मनोविकार की तुलना में OBSESSION का प्रमाण दर्लभ है। १०० में ०१ या १००० में ५-६ इस मनोविकार से पीड़ित हो सकते है। की सालो तक इसका विकार की गुथ्थी सुलझना मुशिकल था लईकिन पिछले कई सालों में BEHAVIOUR THERAPY और नई दवाइयों की वजह से मरीजों को अपने विचार काबू करने में निश्चित मदत हो रही है।
अगले blog में HYSTERIA से जुड़े मानसिक अवस्था के बारे में जाग्रुकता हेतु जानकारी देने का प्रयास होगा। तब तक stay safe and healthy, MENTALLY & PHYSICALLY 😊.
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