MANIA एक ऐसी मनोवस्था है, जिसमे मरीज का depression से बिलकुल विपरीत व्यवहार दिखाई देता है। मनोविज्ञान के अनुसार MANIA का निदान करने या होने केलिए सारे लक्षण होने की जरूरत नहीं होती। बिमारी की तीव्रता जैसे जैसे बढ़ती जाती है वैसे वैसे लक्षण भी प्रबल होने लगते है। MANIA में मरीज अति उत्तेजित और उत्साही बनते है। खुद को कोई बड़ी आसामी समझने लगते है, बडी बडी बाते और कल्पना करने लगते है। उनके उत्साह भरे व्यवहार की वजह से उनके बोलने की और काम करने की गति भी बढ़ जाती है। लेकिन उनके व्यवहार और सारी बातें, मुख्य विषय को छोड़ दिशाहीन हो जाती हैं। पर उन्हें इस बात का बिलकुल भी ज्ञान नहीं होता।MANIA और DEPRESSION के लक्षण बिलकुल भी अलग अलग होते है। दोनों ने में पाए जाने वाली कुछ अलग लक्षण इस प्रकार है :
DEPRESSION:
१) निद्रानाश
२) उत्साह की कमी, थकावट।
३) खुद से नाखुश, कमतरता की भावना।
४) काम की जगह पर, घर पर हे काम में अनुत्साहित मानसिकता।
५) परिवार और मित्रजनोंसे दूर दूर रहना।
६) यौन या काम भावना का अभाव महसूस करना या रूचि खो देना।
७) किसी भी मनोरंजक घटना में रूचि खो देना। भूतकाल के यादों को कुरेदता रहना।
८) उदास, नकारत्मक सोच रखना और बाते करना।
९) भविष्य के प्रति नकरात्नक और निराशावादी सोच रखना।
१०) उदास भावना की वजह से रोना आना।
MANIA:
१) निद्रानाश पर मरीज को नींद की जरूरत महसूस ही नहीं होतो।२) उत्तेजित मनोवस्था।
३) खुद के बारे में बड़कपन की भावना।
४) काम करने में जरूरत से ज्यादा उत्साह होना पर काम की दिशा गलत होना। गलत वक्त पर गलत काम करना।
५) किसी न किसी के साथ बात करते रहना। बिना पहचान के लोगों से भी हस हस कर खुल कर बाते करना।
६) यौन या काम भावना जरूरत से ज्यादा उत्तेजित या तीव्र होना। सभ्यता की मर्यादा का उलंघन हो जाना।
७) खुद की जम्मेदारी भूलकर कही भी कसी के साथ भी मनोरंजक बर्ताव करना और उसके लिए बेहिसाब, बेमतलब पैसा ख़र्च करना।
८) जरूरत से ज्यादा और बेमतलब की बाते करते रहना।
९) भविष्य के प्रति जरूरत से ज्यादा आशावादी सोच रखना, अपने औकात से बढ़कर, निराधार बडी बडी योजनाए बनाना।
१०) बिना मतलब के छोटी छोटी बातों पर जोर जोर से हसना। बचकाने मजाक करना। कभी कभी अचानक ग़ुस्सा हो जाना।
११) नशे और शराब का जरूरत से ज्यादा सेवन।
१२) काल्पनिक आवाजे सुनाई देना, काल्पनिक चीजे और व्यक्ति दिखाई देना जो किसी और को बिलकुल सुनाई और दिखाई ना देती हो।
१३) बिना मतलब के बहोत ग़ुस्सा आना।

कुछ मरीज ऐसी अवस्था में MANIC DEPRESSION के शिकार हो सकते है। MANIC DEPRESSION या MANIC DEPRESSIVE PSYCHOSIS में मरीजों को MANIA और DEPRESSION के लक्षण वैकल्पिक रूप (alternate form) में महसूस होते है। DEPRESSION में मरीज अपने सहयोगी, परिवार जन और दोस्तों से कतराता और दूर दूर रहता है वैसेही MANIA में ज्यादा उत्साह में किसी के बारे में ज्यादा ही सच उगल देता है या किसी को कुछ कड़वे बोल सूना देता है। उसे अपनी हरकतों पर, अपने बोलने पर काबू नहीं रहता। इसकी वजह से कभी कभी रिश्ते बिघड़ भी जाते है। MANIC DEPRESSIVE PSYCHOSIS में depression और mania का कोई भी तय कीया हुआ पड़ाव नहीं होता। इस अवस्था में किसीको पहले depression और फिर mania या किसीको पहले mania और फिर depression का अनुभव हो सकता है। । मरीज के इस अवस्था के दो चरण (Phase) में भी लंबा अंतर या कभी कम अंतर भी हो सकता है। लेकिन दो चरण के बिच के समय में वो मरीज मानसिक रूप से बिलकुल तंदुरुस्त रहता है। पर कम अंतर या बार बार इस अवस्था का अनुभव आने वाले मरीज का सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर निश्चित विपरीत असर पड सकता है।
वैसे तो इस मानसिक अवस्था का निश्चित कारण अभी तक तय नहीं हो सका है पर संशोधन के अनुसार कुछ हद तक दिमाग में रसायन की गड़बड़ी (chemical imbalance), पर्यावरक घटना (environmental factors) जैसे तनाव पूर्ण जीवन शैली या बचपन की कड़वी यादे (childhood abuse) या आनुवंशिक (genetic factors) हो सकती हैं। छोटी उम्र के बच्चों में इसके आसार कम रहते है लेकिन १२-१३ साल के बच्चे इस मनोवस्था का शिकार हो सकते है।
1980 में DSM (Dignosis and Statistics Manual of Mental Disorders) के अंतर्गत MANIA शब्द को BIPOLAR DISORDER में परिवर्तित किया गया. इसकी वजह MANIA शब्द के उच्चारण से मरीजों को MANIAC (पागल) कहना उनका अनादर और अवमानित महसूस करवा सकता था।

MANIA जो अब BIPOLAR DISORDER के नाम से प्रचलित है, उसके लक्षण जैसे जैसे तीव्र होने लगते है वैसे वैसे मरीज का वास्तविक जीवन से संबंध टूटने लगता हैं। इस अवस्था मे कुछ मरीजों में बेहद घुस्सा आने के भी लक्षण पाये जा सकते है। उनकी अपेक्षा होती है कि उनके आस पास के लोग, फिर office के सहयोगी या घरवाले उनकी सारी बात माने, अगर कोई टोके तो फिर उनको घुस्सा आ सकता है। वे उस मनोवस्था में बिना सोचे समझे अच्छीखासी नौकरी छोड़ने तक का कदम उठा सकते है। इस अवस्था मे मरीजों की काम वासना भी तीव्र होने की संभावना हो सकती है। BIPOLAR DISORDER की मनोवस्था में वे कोई भी सामाजिक बंधन या शिष्ठाचार मानने की मानसिक स्थिती में नही होते। जिसके वजह से ऐसे मरीज शादी के इलावा, बाहरी संबंध रखने से भी नही कतराते है। इसकी वजह से सामाजिक और पारिवारिक जीवन में उन्हें बहोत मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। BIPOLAR DISORDER की मनोवस्था में मरीज बिना सोचे समझे पैसा खर्च कर कर्जे में भी डुब सकते हैं।

जैसे BIPOLAR DISORDER में मरीज उत्तजित हो जाता है वैसे ही SCHIZOPHRENIA में भी मरीज उत्तजित होता है। दोनों के आसार एक जैसे ही दिखाई देते है। इसीलिए मनोविज्ञान में इन दो मनोवस्थाओं में भेद करना और निश्चित निदान करना थोड़ा मुश्किल होता है। दोंनो के उपचार भी लगबग एक जैसे ही होते है। BIPOLAR DISORDER का मरीज, इस बिमारी से पूरी तरह ठीक हो सकता है। अगर कुछ साल बाद उसे फिरसे BIPOLAR DISORDER का झटका आ सकता है, लेकिन उस वक्त, पहले और दूसरे झटके के बिच के समय तक वो बिना किसी मुश्किल से पूरी तरह निरोगी जीवन बिताता है। लेकिन SCHIZOPHRENIA में मरीज इस बिमारी से आसानी से छुटकारा नहीं पा सकता है और उसकेलिये एक अच्छी सेहतमंद मानिसक जिंदगी जीना बहोत मुश्किल हो जाता है।
हर मानसिक बिमारी की तरह BIPOLAR DISORDER के इलाज में काफी समय लग सकता है। इसमें मरीज और परिवार वालों को बहोत ही संयम रखना पड सकता है। मरीज को अगर ठीक होना है तो पहले तो उसको इस बिमारी का स्विकार करना जरूरी है तभी वो ठीक तरह के इलाज से इस बिमारी से उभर सकता है।
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अगले blog में SCHIZOPHRENIA से जुड़े मानसिक अवस्था के बारे में जाग्रुकता हेतु जानकारी देने का प्रयास होगा, तब तक stay safe and healthy, MENTALLY & PHYSICALLY 😊.
-(KD Blogs)
✍©कुणाल देशपांडे।
One more time.....
ReplyDeleteBest written blog.
GOD BLESS YOU.